सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दिन नीके बीते जाते हैंदिन नीके बीते जाते हैं॥टेर॥सुमिरन कर ले राम नाम, तज विषय भोग सब और काम।तेरे संग न चाले इक छदाम, जो देते हैं सो पाते हैं॥१॥लख चौरासी भोग के आया, बड़े भाग मानस तन पाया।उस पर भी नहीं करी कमाई, अन्त समय पछिताते हैं॥२॥कौन तुम्हारा कुटुम्ब परिवारा, किसके हो तुम कौन तुम्हारा।किसके बल हरि नाम बिसारा, सब जीते जी के नाते हैं॥३॥जो तू लाग्यो विषय बिलासा, मूरख फँस गयो मोह की फाँसा।क्या करता श्वासन की आशा, गये श्वास नहीं आते हैं॥४॥सच्चे मनसे नाम सुमिर ले, बन आवे तो सुकृत कर ले।साधु पुरुष की संगति कर ले, दास कबीरा गाते हैं॥५॥

दिन नीके बीते जाते हैं दिन नीके बीते जाते हैं॥टेर॥ सुमिरन कर ले राम नाम, तज विषय भोग सब और काम। तेरे संग न चाले इक छदाम, जो देते हैं सो पाते हैं॥१॥ लख चौरासी भोग के आया, बड़े भाग मानस तन पाया। उस पर भी नहीं करी कमाई, अन्त समय पछिताते हैं॥२॥ कौन तुम्हारा कुटुम्ब परिवारा, किसके हो तुम कौन तुम्हारा। किसके बल हरि नाम बिसारा, सब जीते जी के नाते हैं॥३॥ जो तू लाग्यो विषय बिलासा, मूरख फँस गयो मोह की फाँसा। क्या करता श्वासन की आशा, गये श्वास नहीं आते हैं॥४॥ सच्चे मनसे नाम सुमिर ले, बन आवे तो सुकृत कर ले। साधु पुरुष की संगति कर ले, दास कबीरा गाते हैं॥५॥

भज ले क्यूँ न राधे कृष्णाभज ले क्यूँ न राधे कृष्णा, फेर पछताओगे॥टेर॥जिन तोकूँ पैदा किया, उसका नाम कदे नहीं लिया।ऐसी नर देही बन्दा फेर कब पावोगे॥१॥तिरिया और कुटुम्ब के खतिर, पच-पच के मर जावोगे॥माया थारै संग न चाले रीते हाथ जावोगे॥२॥एक दिन ऐसा होगा बन्दा, यम लेने को आवेंगे।पूछेंगे हिसाब तेरा फेर क्या बतावोगे॥३॥सूर के किशोर बन्दा छोड़ दे माया का फन्दा।हरि के भजन कर पार लंघ जावोगे॥४॥

भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा, फेर पछताओगे॥टेर॥ जिन तोकूँ पैदा किया, उसका नाम कदे नहीं लिया। ऐसी नर देही बन्दा फेर कब पावोगे॥१॥ तिरिया और कुटुम्ब के खतिर, पच-पच के मर जावोगे॥ माया थारै संग न चाले रीते हाथ जावोगे॥२॥ एक दिन ऐसा होगा बन्दा, यम लेने को आवेंगे। पूछेंगे हिसाब तेरा फेर क्या बतावोगे॥३॥ सूर के किशोर बन्दा छोड़ दे माया का फन्दा। हरि के भजन कर पार लंघ जावोगे॥४॥

हरी नाम सुमर सुखधामहरी नाम सुमर सुखधाम, जगत में जिवना दो दिन कासुन्दर काया देख लुभाया, गरब करै तन का॥टेर॥गिर गई देह बिखर गई काया, ज्यूँ माला मनका॥१॥सुन्दर नारी लगै पियारी, मौज करै मनका।काल बली का लाग्या तमंचा, भूल जाय ठन का॥२॥झूठ कपट कर माया जोड़ी, गरब करै धन का।सब ही छोड़कर चल्या मुसाफिर बास हुआ बन का॥३॥यो संसार स्वप्न की माया, मेला पल छिन का।ब्रह्मानन्द भजन कर बन्दे, नाथ निरंजन का॥४॥

हरी नाम सुमर सुखधाम हरी नाम सुमर सुखधाम, जगत में जिवना दो दिन का सुन्दर काया देख लुभाया, गरब करै तन का॥टेर॥ गिर गई देह बिखर गई काया, ज्यूँ माला मनका॥१॥ सुन्दर नारी लगै पियारी, मौज करै मनका। काल बली का लाग्या तमंचा, भूल जाय ठन का॥२॥ झूठ कपट कर माया जोड़ी, गरब करै धन का। सब ही छोड़कर चल्या मुसाफिर बास हुआ बन का॥३॥ यो संसार स्वप्न की माया, मेला पल छिन का। ब्रह्मानन्द भजन कर बन्दे, नाथ निरंजन का॥४॥

हे पिंजरे की ये मैनाहे पिंजरे की ये मैना, भजन कर ले राम का,भजन कर ले राम का, भजन कर ले श्याम का॥टेर॥राम नाम अनमोल रतन है, राम राम तूँ कहना,भवसागर से पार होवे तो, नाम हरिका लेना॥१॥भाई-बन्धु कुटुम्ब कबीलो, कोई किसी को है ना,मतलब का सब खेल जगत् में, नहीं किसी को रहना॥२॥कोड़ी-कोड़ी माया जोड़ी, कभी किसी को देई ना,सब सम्पत्ति तेरी यहीं रहेगी, नहीं कछु लेना-देना॥३॥

हे पिंजरे की ये मैना हे पिंजरे की ये मैना, भजन कर ले राम का, भजन कर ले राम का, भजन कर ले श्याम का॥टेर॥ राम नाम अनमोल रतन है, राम राम तूँ कहना, भवसागर से पार होवे तो, नाम हरिका लेना॥१॥ भाई-बन्धु कुटुम्ब कबीलो, कोई किसी को है ना, मतलब का सब खेल जगत् में, नहीं किसी को रहना॥२॥ कोड़ी-कोड़ी माया जोड़ी, कभी किसी को देई ना, सब सम्पत्ति तेरी यहीं रहेगी, नहीं कछु लेना-देना॥३॥

आवो भाई सब मिल बोलोआवो भाई सब मिल बोलो राम-राम-राम॥ टेर॥गर्भवास में कौल किया था, समरुँगा यह बोल दिय था।बाहर आकार भूल्यो हरिको नाम-नाम-नाम॥१॥मात-पिता बन्धु सुत दारा, स्वार्थ है जब तू लगता प्यारा।बात न पूछे जब हो जावे बे काम काम काम॥२॥जिसके खतिर पाप कमावै , धरणी-धन यहाँ ही रह जावै।देख नजर कर संग न चालै ताम-ताम-ताम॥३॥समय अमोलक बीता जावै, बार-बार नर देह न पावै।सुफल बना सुमिरण कर आठूँ याम-याम-याम॥४॥सत कर्मोंकी पूँजी कर ले, राम नाम की बालद भर ले।जिह्वा तेरे बस की, न लागै दाम-दाम-दाम॥५॥भक्ति भाव की नाव बना ले, सत्य धर्म केवट बैठा ले।

आवो भाई सब मिल बोलो आवो भाई सब मिल बोलो राम-राम-राम॥ टेर॥ गर्भवास में कौल किया था, समरुँगा यह बोल दिय था। बाहर आकार भूल्यो हरिको नाम-नाम-नाम॥१॥ मात-पिता बन्धु सुत दारा, स्वार्थ है जब तू लगता प्यारा। बात न पूछे जब हो जावे बे काम काम काम॥२॥ जिसके खतिर पाप कमावै , धरणी-धन यहाँ ही रह जावै। देख नजर कर संग न चालै ताम-ताम-ताम॥३॥ समय अमोलक बीता जावै, बार-बार नर देह न पावै। सुफल बना सुमिरण कर आठूँ याम-याम-याम॥४॥ सत कर्मोंकी पूँजी कर ले, राम नाम की बालद भर ले। जिह्वा तेरे बस की, न लागै दाम-दाम-दाम॥५॥ भक्ति भाव की नाव बना ले, सत्य धर्म केवट बैठा ले।

प्रथम तुला वंदितो कृपाडा लिरिक्स,,प्रथम तुला वंदितो कृपाडा , गजानना गणराया...विघ्न विनाशक गुणिजन पालक दुरित तिमिर हारका सुख कारक तू दुःख विदारक तूच तुझा सारखा वक्रतुंड ब्रम्हांडनायकाविनायका प्रभुराया सिद्धि विनायक तूच अनंता शिवात्म्जा मंगला सिन्दुरवदना विध्याधिशा गणाधिपा वत्सला तूच ईश्वरा साह्य करावे हा भव सिन्धु तरया गज वदना तव रूप मनोहर शुक्लाम्बर शिव सुता चिंतामणि तू अष्टविनायक सक्लांची देवता रिद्धिसिद्धि चा वरा दयाडा देई कृपे ची छाया

प्रथम तुला वंदितो कृपाडा लिरिक्स ,, प्रथम तुला वंदितो कृपाडा ,  गजानना गणराया... विघ्न विनाशक गुणिजन पालक  दुरित तिमिर हारका  सुख कारक तू दुःख विदारक   तूच तुझा सारखा  वक्रतुंड ब्रम्हांडनायका विनायका प्रभुराया  सिद्धि विनायक तूच अनंता  शिवात्म्जा मंगला  सिन्दुरवदना विध्याधिशा  गणाधिपा वत्सला   तूच ईश्वरा साह्य करावे  हा भव सिन्धु तरया  गज वदना तव रूप मनोहर  शुक्लाम्बर शिव सुता  चिंतामणि तू अष्टविनायक  सक्लांची देवता  रिद्धिसिद्धि चा वरा दयाडा   देई कृपे ची छाया 

अरे द्वारपालो कन्हैया से कहदो लिरिक्सअरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो के दरपे सुदामा गरीब आ गया हैदेखो देखो ये गरीबी,ये गरीबी का हाल कृष्ण के दर पे विश्वास लेके आया हूँ मेरे बचपन का यार है.. मेरा श्याम,यही सोच कर मै आस कर के आया हूँ. अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो के दरपे सुदामा गरीब आ गया हैभटकते भटकते ना जाने कहा सेतुम्हारे महल के करीब आगया हैना सरपे है पगडी ना तन पे है जामा, बतादो कन्हैया को नाम है सुदामा हा…बतादो कन्हैया को नाम है सुदामा.बस एक बार मोहन से जा कर के कह दोके मिलने सखा बद‍नसीब आ गया है अरे द्वारपालो कन्हैया से कहदो के दरपे सुदामा गरीब आगया हैसुनते ही दौड़े चले आये मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन हा…लगाया गले से सुदामा को मोहनहुआ रुख्मिणी को बहुत ही अचंभाये मेहमान कैसा अजीब आगया हैबराबर में अपने सुदामा बिठाये चरण आँसुओं से श्याम ने धुलाये चरण आँसुओं से श्याम ने धुलायेना घबरायो प्यारे जरा तुम सुदामा खुशी का समां तेरे करीब आ गया है अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो के दरपे सुदामा गरीब आगया है

कृष्ण भगवान के भजन लिरिक्स अरे द्वारपालो कन्हैया से कहदो लिरिक्स देखो देखो ये गरीबी,ये  गरीबी का हाल   कृष्ण के दर पे विश्वास लेके आया हूँ  मेरे बचपन का यार है.. मेरा श्याम, यही सोच कर मै आस कर के आया हूँ.  अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो   के दरपे सुदामा गरीब आ गया है भटकते भटकते ना जाने कहा से तुम्हारे महल के करीब आगया है ना सरपे है पगडी  ना तन पे है जामा,  बतादो कन्हैया को नाम है सुदामा हा… बतादो कन्हैया को नाम है सुदामा. बस  एक बार मोहन से जा कर के कह दो के मिलने सखा बद‍नसीब आ गया है  अरे द्वारपालो कन्हैया से कहदो   के दरपे सुदामा गरीब आगया है सुनते ही दौड़े चले आये मोहन,  लगाया गले से सुदामा को मोहन हा… लगाया गले से सुदामा को मोहन हुआ रुख्मिणी  को बहुत ही अचंभा ये  मेहमान कैसा अजीब आगया है बराबर में अपने सुदामा बिठाये   चरण आँसुओं से श्याम ने धुलाये  चरण आँसुओं से श्याम ने धुलाये ना घबरायो प्यारे जरा तुम सुदामा  खुशी का समां तेरे करीब आ गया है  अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो...

भगवान विष्णु के बारे में कुछ दिमाग उड़ाने वाले तथ्य क्या हैं? वनिता कासनियां पंजाब द्वाराविष्णु को देवताओं के देवता (देव-देव) के रूप में जाना जाता हैमहा करण विष्णु के रूप में, वह अपनी त्वचा के छिद्रों से अनंत ब्रह्मांडों का निर्माण करता है। वे ब्रह्मांड अपने बड़े ब्रह्मांडीय शरीर के अंदर परमाणुओं की तरह चलते हैं:गर्भ विष्णु के रूप में वह प्रत्येक ब्रह्मांड में प्रवेश करता है और ब्रह्मा के रूप में जीवन बनाता है और भौतिक ब्रह्मांड के ऊपर सबसे अधिक निवास में मौजूद है जिसे वैकुंठ कहा जाता है:विष्णु को अनंत के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसका अर्थ है अनंत। अनंतनाग के रूप में वह अपने एकलपन के तहत पूरे ब्रह्मांड का वजन वहन करते हैं जो उनके एकल आकार के मुकाबले सरसों के बीज के रूप में दिखाई देता है:यजुर्वेद विष्णु और शिव को एक ही इकाई के रूप में संदर्भित करता है। वे एक दूसरे से अलग नहीं हैं:विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए अवतार नरसिंह (आधा आदमी आधा शेर) के रूप में अवतार लिया:कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को अपना ब्राह्मण रूप दिखाया:विष्णु का अर्थ है, सर्वव्यापी। विष्णु से परे कुछ भी नहीं हैओम नमो नारायण

भगवान विष्णु के बारे में कुछ दिमाग उड़ाने वाले तथ्य क्या हैं? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम वनिता कासनियां पंजाब द्वारा विष्णु को देवताओं के देवता (देव-देव) के रूप में जाना जाता है महा करण विष्णु के रूप में, वह अपनी त्वचा के छिद्रों से अनंत ब्रह्मांडों का निर्माण करता है। वे ब्रह्मांड अपने बड़े ब्रह्मांडीय शरीर के अंदर परमाणुओं की तरह चलते हैं: गर्भ विष्णु के रूप में वह प्रत्येक ब्रह्मांड में प्रवेश करता है और ब्रह्मा के रूप में जीवन बनाता है और भौतिक ब्रह्मांड के ऊपर सबसे अधिक निवास में मौजूद है जिसे वैकुंठ कहा जाता है: विष्णु को अनंत के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसका अर्थ है अनंत। अनंतनाग के रूप में वह अपने एकलपन के तहत पूरे ब्रह्मांड का वजन वहन करते हैं जो उनके एकल आकार के मुकाबले सरसों के बीज के रूप में दिखाई देता है: यजुर्वेद विष्णु और शिव को एक ही इकाई के रूप में संदर्भित करता है। वे एक दूसरे से अलग नहीं हैं: विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए अवतार नरसिंह (आधा आदमी आधा शेर) के रूप में अवतार लिया: कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को अपना ब्राह्मण रूप दिखाया: विष्णु का ...