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परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ((217))रामायणी साधना सत्संग लंका कांडभाग ५५ (55) *परमात्मा श्री राम का असुरों के साथ युद्ध ,श्री राम एवं लक्ष्मण का नागपाश में बंधना। गरूड़ जी महाराज का नागपाश के बंधन से मुक्त करना*हनुमान उसे कह कर आए थे, जगजननी के नाते जो हमारी एक ही मां है सबकी, उसके नाते मैं और आप भाई-भाई । वह राक्षस जाति के हैं, यह वानर जाति के हैं, आपस में कोई संबंध नहीं, लेकिन हनुमान जी महाराज तर्क दृष्टि से विभीषण जी महाराज को यह स्पष्ट करके आए थे, हम भाई भाई हैं । लेकिन वह विभीषण है जो देह बुद्धि के भाई भाई हैं, भूल नहीं पाया। वह अभी भी कहता है दशानन का भाई मिलने के लिए आपकी शरण लेने के लिए आया है । काश उस वक्त ही उसने कह दिया होता कि हनुमान का भाई आया हुआ है, तो बात तो इतनी देरी जो है, वह ना लगती । अब तो यह मरण काटन का हिसाब किताब चलता रहेगा । अभी आपने देखा मेघनाद जी ने प्रभु राम एवं लक्ष्मण दोनों को नागपाश में बांध दिया। गरुड़ जी महाराज ने आकर उन्हें इस बंधन से मुक्त किया । जय जयकार हुई । उसके बाद पुन: युद्ध का आरंभ हो गया । कल देखेंगे कौन-कौन मरते हैं ? सभी मर जाएंगे, देखना क्या है ? कोई नहीं रहना, सभी ने मर जाना है । भगवान ने एक-एक को चुन-चुन कर मारना है । कोई नहीं बचने वाला, सारी की सारी सेना उनकी खत्म हो जाएगी। बचेंगे वही जो राम के साथ हैं, बाकी सबके सब मर जाएंगे पुरुष । महिलाएं बचेंगी । किसी को रोना धोना भी तो है ना मरने के बाद ।‌उनको बचा कर रखा है । उनको भगवान नहीं मारते । रोइएगा, धोइएगा आप बाद में, इनकी मृत्यु के ऊपर । यह अपने कटु कर्मों का फल भोग रहे हैं।कुंभकरण के साथ भक्तजनों भगवान राम, जो रावण की आपस में चर्चा है, बड़ी रोचक है; कल जिस वक्त कुंभकरण जी आएंगे मरने के लिए, उस वक्त याद दिलाना, यह चर्चा करेंगे । थोड़े मिनटो के लिए, यही 5-10 मिनट के लिए चर्चा काफी रहेगी, पर बड़ी सुंदर चर्चा है । अच्छी लगेगी आपको । मुझे पढ़कर बहुत अच्छी लगी, इसलिए चाहूंगा की आप भी उसे सुनो, और आप भी उसका आनंद लो ।,

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